सोशल डिस्टेंसिंग में रसूख नहीं देखना चाहिए ?

चंडीगढ़ की कॉलोनी में अगर कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी में अकेला है और  मास्क मुंह से थोड़ा सा भी नीचे  हो उस व्यक्ति उस महिला को रोककर तुरंत उसका चालान उसके हाथ में पकड़ा दिया जाता है ऐसे ही डडू माजरा कॉलोनी में अधिकारी कर रहा है अगर
 कोई बच्चा अपने परिजनों  के साथ मार्केट या कहीं जा रहा हो मां बाप के मुंह पर मास्क लगाया  हुआ हो मगर बच्चों के मुंह पर मास्क ना हो या उनके मां-बाप को पता भी ना चला हो की उनके बच्चों ने मास्क कब उतार कर अपने हाथ में पकड़ लिया।  उस समय अधिकारी पूरी जिम्मेवारी के साथ और पूरी शक्ति के साथ जैसे कि किसी बॉर्डर से किसी आंतकवादी को पकड़ लिया हो । उसी तरह से मुस्तैद होकर उन बच्चों के परिजनों को मस्त ना लगाने  पर जेल जाने तक की भी धमकी दे देता है । अब उसके पास पैसे हो या ना हो वह व्यक्ति घर जाकर आस-पड़ोस या कहीं ना कहीं से उस चालान के पैसे लाकर उस अधिकारी को थमा देता है।
इस बात को मैं अच्छा समझता हूं मगर यह सिर्फ गरीब लोगों के लिए ही सब कुछ होता है या खादी पहनने वाले नेताओं के बच्चों पर भी लागू होता हैं। या नहीं।
बीजेपी के पार्षद के बेटे  दुबे को बधाई दी जाती है क्या यह सोशल डिस्टेंसिंग है?

अभी इस तस्वीर को देखो कितने लोग बिना  मास्क के साथ खड़े हैं इस पर चालान करने वाले अधिकारियों की भी आंखें बंद हो जाती हैं। जो अधिकारी इतने ईमानदारी से काम कर गरीब लोगों के चालान काट उनको शिक्षा दे रहा है लेकिन कहीं ना कहीं उसकी भी जमीर इस फोटो को देख कर अगर कुछ कहती हो तो अच्छा होगा।
 मैं सिर्फ भेदभाव बता रहा हूं बाकी कोविड-19 से सबको सावधानी रखनी चाहिए मुंह पर मास्क लगाना चाहिए सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान देना चाहिए चाहे गरीब हो या अमीर  हो।  DK


Comments